जहाँ अभावज्ञान होता है वहाँ किसी न किसी प्रकार का भावात्मक ज्ञान ही होता है।
2.
अल् फरबी का कहना है कि ' सामान्य सत्यों का निगमन विशेष सत्यों के प्रतिष्ठित हो जाने के बाद ही संभव है, तथा भावात्मक ज्ञान ऐंद्रिय अनुभवों द्वारा प्राप्त ज्ञान की ही परिणति के रूप में हो सकता है।
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अल् फरबी का कहना है कि ' सामान्य सत्यों का निगमन विशेष सत्यों के प्रतिष्ठित हो जाने के बाद ही संभव है, तथा भावात्मक ज्ञान ऐंद्रिय अनुभवों द्वारा प्राप्त ज्ञान की ही परिणति के रूप में हो सकता है।